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नमी कहेगी...!


कोई किसी की व्यथा
नहीं कर सकता कम,
नहीं बाँट सकता
कोई किसी का गम...

निज व्यथा
निज ही को सहना है,
कभी नहीं मुख से
कुछ कहना है... 


हाँ, मिले जो कोई
साथ रोनेवाला
लगे कि
कुछ अघटित है होनेवाला
तो होने देना...
जो रोना चाहे कोई साथ
तो संग उसे रोने देना...

गम बांटने का दावा
कितने ही कर जायेंगे...
पर ऐसे कुछ एक ही होंगे जिनकी आँखों में
तुम्हारे आंसू उतर जायेंगे!
वो तुम्हारे गम हर लेने की
बात नहीं करेंगे...
पर उनके होने से तुम्हारे गम
सिर्फ तुम्हारे नहीं रहेंगे!!

कोई एक
अनकहा सम्बन्ध
जुड़ जाएगा...
जब जब तुम रोओगे
मन उसका भी
नम हो जाएगा... 


ये नम आँखों का रिश्ता होगा न
इसकी बात जुदा होगी
आंसू को आंसुओं का साथ मिल जाएगा
जो एक न कह पाए तो वो दूजे की नमी कहेगी 


ये बस इस जहां में ही संभव है
गम हो धरती का तो आसमान रोता है
बादल सारे अनमने हों
तो यहाँ हरियाली का पूरा कुनबा उदास होता है 


जीवन यूँ ही
चलता जाता है...
आंसू का जितना गम से है
उतना ही तो खुशियों से भी नाता है...!!!


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