$ 0 0 खुद से ही नाराज़बहुत बहुत बहुत नाराज़ होफफ़क फफ़क कर रोते हुएमन प्राण सब भिगोते हुएहम लिखते रहे शब्द... खोखले शब्दबेजान शब्दबेवजह बेमतलब शब्द और बहते रहे आंसूचीख कर नहीं रोये कितने दिनों सेअभी चीख रहे हैंलिख रहे हैं वहीबेवजह बेमतलब बेजान शब्द और रो रहे हैं आंसू बहती रही आंसू की लड़ियाँआँखें मूंदें जोड़ते रहे हम कितनी ही कड़ियाँ फिर भी ज्ञात न हुआ कारणरोते रहे वैसे ही...जैसे लिखते हैं हम अकारण...मन रे!कर धैर्य धारण...थक जायेंगी रोते हुए आँखेंचूक जायेंगे आंसूफिर स्वमेवसाँसे व्यवस्थित हो जायेंगीमौन हो जा कुछ समय के लिएहो जाएगा शायद फिर निवारण...यूँ ही लिखते रह अकारण... !!!