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Channel: अनुशील
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अकारण...!

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खुद से ही नाराज़
बहुत बहुत बहुत नाराज़ हो
फफ़क फफ़क कर रोते हुए
मन प्राण सब भिगोते हुए
हम लिखते रहे शब्द... 


खोखले शब्द
बेजान शब्द
बेवजह बेमतलब शब्द 


और बहते रहे आंसू
चीख कर नहीं रोये कितने दिनों से
अभी चीख रहे हैं
लिख रहे हैं 

वही
बेवजह बेमतलब बेजान शब्द 

और रो रहे हैं आंसू 


बहती रही आंसू की लड़ियाँ
आँखें मूंदें जोड़ते रहे हम कितनी ही कड़ियाँ 


फिर भी ज्ञात न हुआ कारण
रोते रहे वैसे ही...
जैसे लिखते हैं हम अकारण...


मन रे!
कर धैर्य धारण...

थक जायेंगी रोते हुए आँखें
चूक जायेंगे आंसू
फिर स्वमेव
साँसे व्यवस्थित हो जायेंगी

मौन हो जा कुछ समय के लिए
हो जाएगा शायद फिर निवारण...


यूँ ही लिखते रह अकारण... !!!





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