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Channel: अनुशील
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सुख है

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एक बूँद आँसू 
एक व्यथा समंदर भर 


एक क्षण की कोई बात 
जो न भूले मन जीवन भर 


ऐसे कैसे-कैसे घाव समेटे 
हम जीते हैं 
जीते हुए घूँट ज़हर के 
कितने हम पीते हैं 


मन में जाने कैसा 
पर्वताकार दुःख है 
अब धीरे-धीरे उसी को 
कहने लगे हम-


सुख है !



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