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Channel: अनुशील
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आने वाले कल के लिए

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ये
अनिश्चित-से
काश और शायद सरीखे शब्दों की ही महिमा है
कि हम चलते चले जाते हैं
उन मोड़ों से भी आगे
जहाँ से आगे की कोई राह नहीं दिखती 


ये शब्द सम्भावनाओं का वो आकाश हैं
जो घिरे हुए बादलों के बीच भी
चमक उठते हैं
अपनी रौ में!


एक आशा है
जो जिलाए रखती है
अंधकार के घोर प्रपात में 


हम दामन में
एक मुस्कान बचाए रखते हैं
तब भी जब कुछ भी नहीं होता अपने हाथ में 


मन की चंचलता
उठते-गिरते
अपने लिये
मन-भर आकाश गढ़ लेती है


जिसमें
नए सिरे से
सूरज चाँद टाँक
समय की गति के गूढ़ार्थ पढ़ लेती है!



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