Quantcast
Channel: अनुशील
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

सुख है!

$
0
0

इतना वृहद है दुःख
इतने सारे हैं दुःख
कि अपना दुःख बहुत छोटा हो जाता है 


दुःख रचा नियति ने
तो दुःख को आसमान-सा ऐसा विस्तार दिया
कि ये सबके हिस्से आया 


जैसे सबका अपना-अपना आसमान
वैसे सबके अपने-अपने दुःख 


इस वृहदता में
अपने दुःख की लघुता महसूस कर
रोना-कलपना त्याग
जीवन जीने में जुट जाना ही सुख है 


कि
सुख का
अलग से कहीं कोई अस्तित्व नहीं 


दुःख में साथ मुस्कुराना ही सुख है!


Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>