$ 0 0 विवशता अपनी जगहअपनी जगह आकाशइस फ़ासले को पाटनामन रे!उड़नालिए विश्वासवो बढ़ती ही जाती हैउत्तरोत्तर उसकी गति से साम्य बिठानामन रे!जानना, किजीवन है संत्रास मंजिलों का अनचीन्हा पताराहों की पेचीदगियाँ--इनके होने से ही है क़दमों की गतिमन रे!दूरियाँ पाटने कातुम्हारा उत्कट रहे प्रयास थक कर बैठ जाना स्वाभाविक हैसरल भीलेकिन यह श्रेय नहीं है राह मेंछलों और छालों का वर्चस्व तोहोना ही हैहोगा हीउनकी परवाह किये बिना चलते चलनामन रे!कभी न क्षीण होगंतव्य तक पहुँचने कीतुम्हारी प्यास विवशता अपनी जगहअपनी जगह आकाशइस फ़ासले को पाटनामन रे!उड़नालिए विश्वास