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Channel: अनुशील
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मन रे! उड़ना लिए विश्वास

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विवशता अपनी जगह
अपनी जगह आकाश


इस फ़ासले को पाटना
मन रे!
उड़ना
लिए विश्वास


वो बढ़ती ही जाती है
उत्तरोत्तर 


उसकी गति से साम्य बिठाना
मन रे!
जानना, कि
जीवन है संत्रास 


मंजिलों का अनचीन्हा पता
राहों की पेचीदगियाँ--


इनके होने से ही है क़दमों की गति
मन रे!
दूरियाँ पाटने का
तुम्हारा उत्कट रहे प्रयास 


थक कर बैठ जाना स्वाभाविक है
सरल भी
लेकिन यह श्रेय नहीं है 


राह में
छलों और छालों का वर्चस्व तो
होना ही है
होगा ही
उनकी परवाह किये बिना चलते चलना
मन रे!
कभी न क्षीण हो
गंतव्य तक पहुँचने की
तुम्हारी प्यास 


विवशता अपनी जगह
अपनी जगह आकाश


इस फ़ासले को पाटना
मन रे!
उड़ना
लिए विश्वास




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