$ 0 0 पोलैंड, २०१५ झरने से झरते जल मेंबह गएकितने ही पलसांझ ने महसूसा था--कुछ दुखों केनहीं होते कोई हल.फिर भीज़िन्दगी, चहकती हैयादों की कोई ज़मीनहर क्षणकहीं दरकती है.