$ 0 0 छली ज़िन्दगीछल कर चली ज़िन्दगी छल से आहतछलके कुछ आँसू उन आँसुओं में पली ज़िन्दगी. उसकी प्रवंचनाओं कोझेला जा सकेउसके छद्मों के बावजूदजिया जा सके इसलिए ही तोढंके-छुपे धैर्य कोअनावृत करती चली ज़िन्दगी. कई बारयूँ भी हुआ बहती नदिया के किनारेनिश्चेष्ट थमी हुईबहुत खली ज़िन्दगी. छलती भी हैसंग-संग चलती भी है वही हैजो सकल प्रवंचनाओं सेउबरने का ढाढस भी है साक्षात वो साहस ही है किपल-पल छलती हैऔर फिर स्वयं सामने से आकरहाथ भी थाम लेती हैभली ज़िन्दगी !!