Quantcast
Channel: अनुशील
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

सुप्रभातम्! जय भास्करः! १५ :: सत्य नारायण पाण्डेय

$
0
0
Dr. S.N. Pandey

पापा से बातचीत :: एक अंश
--------------------------------------

"ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, श्रीकृष्णाय नमः!


श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की शुभकामनाएं! श्रीमद्भगवद्गीता के अठारहवें अध्याय के अन्तिम श्लोक में भगवान् व्यास देव की कृपा से दिव्यदृष्टि प्राप्त संजय ने संम्पूर्ण गीता का सार धृतराष्ट्र को बतलाते हुए स्पष्ट कहा है:---


"यत्र योगेश्वरोकृष्णः यत्र पार्थोर्धनुर्धरः ।
तत्र श्री विजयो भूति ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम्।।


अर्थात् हे राजन!(राजा धृतराष्ट्र) मेरा स्पष्ट मत है कि --जहां योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं और गाण्डीवधारी अर्जुन हैं -निश्चितरूप से वहीं श्रीः (शोभा,लक्ष्मी), विजय और विभूति का होना सुनिश्चित है, यह मेरा मत और दृढनिश्चय है।


यहां आज के संदर्भ में योगेश्वर श्रीकृष्ण भगवान् के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर हम सब को उपर्युक्त श्लोक के सार को ग्रहण करते हुए योग से विमलबुद्धि धारण करते हुए निःस्वार्थ होकर कार्य करना सीखना चाहिए! ऐसा जबतक हम नही सीख लेते तब तक कौरवों की तरह भगवान् की नारायणी सेना सहित भीष्म, द्रोण, कर्ण जैसे महारथियों के सहयोग के बाद भी, केवल स्वार्थबुद्धि के कारण, समूल नष्ट होने के कगार पर ही अपने को खड़ा पायेंगे।

अतः भगवान् कृष्ण की विमलमति काअनुसरण करते हुए जैसे अर्जुन का विजयी होना ध्रुव था, वैसे ही हम सब भी स्वार्थ रहित हो कर्मठता को सहजता से या अभ्यास पूर्वक अपना लें, तो निश्चय जानें व्यक्तिगत रूप से हम तो सुखी होंगे ही, हमारा परिवार, समाज, राज्य, देश यहां तक की सारा विश्व सुख सुविधाओं का भागी होगा। संदेह की कोई गुंजाइश ही नहीं, पर वर्तमान की मानसिकता हमारी नहीं बदलती तो अगले हजारों वर्षों तक भी हम इस दुखदस्थिति में ही जीने को अभिशप्त रहेंगे।

भगवान् हमसब को इस शुभ पुण्य दिन को सुमति प्रदान करें।
जय श्री कृष्ण!राधे!राधे!राधे!

--सत्यनारायण पाण्डेय 


Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>