Quantcast
Channel: अनुशील
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

अब भी वही हैं, अब भी वहीं है...

$
0
0

तुमसे
कविता कहते थे...
तुमको
कविता कहते थे...


हमें
कब रही
अपनी खबर...
जहाँ के हैं नहीं
वहीँ तो कबसे रहते थे...


ठेस ठोकर
अपने साथी हैं...
चोटिल होकर भी
हम नदिया सा बहते थे...



विशुद्ध भाव की गंगा ले
अपनी नन्ही लोटकी
धन्य किये रहते थे...


हाँ!


तुम से
कविता कहते थे...
तुम को
कविता कहते थे... !!
--- --- ---
अब भी वही हैं...
अब भी वहीं है...

भूली बिसरी
गलियों में हम...
छूट गयी
कविताओं के
संस्कार समेटते रहते हैं... !!


Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>