$ 0 0 मत कहना कुछ भीरहना चुप ही...कि चुप्पियों के देश के वासी हैं हम...हमारे आंसू, हमारी आँखेंमुस्कुराता रहे इनमें...सदा सारा गम...मौन का स्वरसालता है...पर है यही जो कितनी ही अनहोनियाँटालता है...इसलिए, साधे रहना मौनशायद उचित यही होगा...कि उसे कितना मानते हैं हमये तो अभीष्ट को सूचित ही होगा... !!