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Channel: अनुशील
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राह दिखाए... हमारा हो जाए... !!

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समझ से परे होती हैं
कितनी ही बातें...


बस अनुभूतियों के आकाश होते हैं...
और ये कहाँ कभी भी स्पष्ट होते हैं...
हो ही नहीं सकते...


बदलता रहता है परिदृश्य...
प्रगल्भ होते हैं भावों के मेघ...
अक्षरशः ऐसे हम हो ही नहीं सकते...


कितने ही अनुभूत सत्य हैं...
जो हम शब्दों में कह ही नहीं सकते...


तो इनके लिए निर्दिष्ट एक आकाश...
और वहीँ से होता रहे दैदीप्यमान प्रकाश...


राह दिखाए...
हमारा हो जाए... !!


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