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Channel: अनुशील
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ज़िन्दगी पहेली ही होगी...

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एक ज़रा सी बूँद थी...
पर अथाह थी...


वो स्वयं सागर ही थी...
कि वो हर लहर के हृदय में उठती बेचैनियों की गवाह थी...


समय का सहज प्रवाह थी...
नन्ही सी बूँद अपने आप में अथाह थी... !!


अथाह थी...
अथाह है...


ज़िन्दगी पहेली ही होगी...
हल हो न हो इस बात की उसे कब परवाह है...


वो रुदन से शुरू होती है...
अंत भी एक कराह है... !!


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