प्रारब्ध ने
जो तय कर रखा है...
वो टलेगा नहीं...
पर ये कहाँ लिखा है
कि टूट गया
तो सपना फिर पलेगा नहीं...
सब कुछ खो कर भी
पुनः शून्य से प्रारंभ करने की
क्षमता रखता है जीवन...
कितने गूढ़ रहस्य समाये हुए है सृष्टि...
कितनी प्रगल्भता लिए हुए
निर्मित है मानव मन...
टूट बिखर जाने के बाद
पूरी सिद्दत से
खुद को बटोर लेता है...
मन की अद्भुत क्षमता है
अँधेरी रात में वो
भोर हो लेता है...
तो जितनी बार टूटेगा
उतनी ही बार संवरेगा...
खोता सा लगेगा हर सहारा
फिर दुगुने वेग से
वही विश्वास बन उभरेगा... !!