$ 0 0 तम के प्रभाव मेंदीये का वज़ूद... बाती जल रही है फिर भी वहांकैसे ये अँधेरे मौज़ूद... ??ऐसे कितने हीद्वन्द सेजूझते हैं मन प्राण... दीप!तुम्हारे संघर्ष केकितने वितान... !!लौ की आस कोधारण किये रखना...कितना कठिन होता होगाउजाले की राह तकना...सब पुरुषार्थअपनी नन्ही काया औरद्विगुणित माया सेसहज ही कर जाते हो...दीप!तुम मन के अँधेरे कोनों मेंअपनी निश्छलता सेकिरणें भर जाते हो... छोटा सा जीवनऔर बड़े बड़े इम्तहान...दीप! तुम अपनी लघुता में हीहर वृहद् सन्दर्भ से महान... !!