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Channel: अनुशील
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नीर नयनों में भर आये... !!

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नीर
नयनों में भर आये...
दीप जब
बुझने को आये...


कितने कितने बीते क्षण
गूँज उठे...
यादों के
कितने विम्ब छलछलाये...


अपने आयुष्य भर
जलता है...
फिर यादों में
रह जाता है...


लौ को
धारण करने वाली काया का
प्रस्थान निश्चित...
समय की धारा में
सब बह जाता है...


क्षणभंगुरता की महिमा के
शाश्वत कुछ अंश झिलमिलाये...
नीर
नयनों में भर आये... !!


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