$ 0 0 नीरनयनों में भर आये...दीप जबबुझने को आये...कितने कितने बीते क्षणगूँज उठे...यादों केकितने विम्ब छलछलाये...अपने आयुष्य भरजलता है...फिर यादों मेंरह जाता है...लौ कोधारण करने वाली काया काप्रस्थान निश्चित...समय की धारा मेंसब बह जाता है...क्षणभंगुरता की महिमा केशाश्वत कुछ अंश झिलमिलाये...नीरनयनों में भर आये... !!