$ 0 0 कितनी उदास शाम है...उदासी नयी बात नहीं है...इसमें भी कुछ नया नहींकि खुद ही खुद को समझा करथोड़ा सा और मन को उलझा करलौट जाएगीशाम...नया कुछ भी नहीं...फिर भी हर शामबीती उदासी की पुनरावृत्ति होती हुई भीहर बार अपने आप में मौलिक है...औरये भी एक सच हैकि हमारे बीच की दूरियांमात्र भौगोलिक हैं...कि मीलों दूर भी शाम वैसी ही उदास है...वैसा ही उधर भी भावशून्य आकाश है...समस्त रहस्य समेटे हुए शाम दिवस के पास है... !!