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Channel: अनुशील
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कितनी उदास शाम है... !!

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कितनी उदास शाम है...


उदासी नयी बात नहीं है...
इसमें भी कुछ नया नहीं
कि खुद ही खुद को समझा कर
थोड़ा सा और मन को उलझा कर
लौट जाएगी
शाम...


नया कुछ भी नहीं...
फिर भी हर शाम
बीती  उदासी की पुनरावृत्ति होती हुई भी
हर बार अपने आप में मौलिक है...


और
ये भी एक सच है
कि हमारे बीच की दूरियां
मात्र भौगोलिक हैं...


कि मीलों दूर भी शाम वैसी ही उदास है...
वैसा ही उधर भी भावशून्य आकाश है...


समस्त रहस्य समेटे हुए शाम दिवस के पास है... !!


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