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Channel: अनुशील
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मन के किसी कोने में... !!

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गहन थी
उदासी...
मन के
किसी कोने में...


वही कोना
जो दिए हुए था समूचा संबल
जीवन को
जीवन होने में...


दीप जलाते
पर आंधियाँ बहुत थीं
बुझ ही जाता न
फिर और उदास कर देती ये रीत खोने की...


सो आँखों में आस लिए
अँधेरे को देखते रहे
सुकून है
यूँ चुप चाप रोने में...


थोड़ा समय लगेगा
उग आएगी रौशनी
आश्वस्त मन जुटा है
कुछ ऐसे दुर्लभ बीज बोने में...


कि
थोड़ी तो पीड़ा होगी...
ज़िन्दगी लग जाती है
जीवन के जीवन होने में... !!


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