$ 0 0 गहन थीउदासी...मन केकिसी कोने में...वही कोनाजो दिए हुए था समूचा संबलजीवन कोजीवन होने में...दीप जलातेपर आंधियाँ बहुत थींबुझ ही जाता नफिर और उदास कर देती ये रीत खोने की...सो आँखों में आस लिएअँधेरे को देखते रहेसुकून हैयूँ चुप चाप रोने में...थोड़ा समय लगेगाउग आएगी रौशनीआश्वस्त मन जुटा हैकुछ ऐसे दुर्लभ बीज बोने में...किथोड़ी तो पीड़ा होगी...ज़िन्दगी लग जाती हैजीवन के जीवन होने में... !!