Quantcast
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

धूप की प्रतीक्षा है... !!


आसमान बादलों से ढंका हुआ है... पंछी उड़ते हुए झुण्ड में... कह रहे हों जैसे-- हो सके तो यूँ उन्मुक्त हो कर देखो... भौतिक रूप से तो नहीं संभव तो कम से कम आत्मिक रूप से ही उड़ने का फैसला तो करो... भाव भाषा विचार के स्तर पर तो व्यापकता लाओ... क्या यूँ ही सिमटे हुए विदा हो जाओगे धरा से... जहाँ से जुड़े थे उससे कहीं गहरे रसातल में पहुंचा कर सृष्टि को... 
क्या जाने ये बातें कब सुनेंगे... कब समझेंगे हम... ?!!

खिड़की से दिखता आकाश है... बादल हैं... पंछियों का आता जाता झुण्ड है... और अनगिन पेड़ तठस्थ खड़े हैं... पीली पत्तियों को गिरता देख रहे हैं... लालिमा लिए हुए वृक्ष धरती को भी जैसे लाल पीले पत्तों की चादर से ढँक देना चाहते हैं, कि जैसे धरा के लिए अपना समस्त वैभव लुटा देना उनका एकमात्र ध्येय एवं कर्त्तव्य हो... ! ये पुण्य भाव ही पतझड़ को इतना सुन्दर बनाता होगा न... मुरझाना और अपनी जगह से दूर हो जाना भी ऐसा मनोरम होता है, यह प्रकृति के ही वश की बात है... !!

प्रतीकात्मक कितने ही सन्देश बिखरे हुए हैं... कितना उदार चरित है प्रकृति का कण कण... ईश्वरीय प्रकाश से दीप्त... !!! इस सान्निध्य का आदर हो मन में तो सुविचारों का स्फुरण स्वतः होगा... सत्संगति से बड़ा कोई तप नहीं... इससे बड़ी कोई पूजा नहीं... !! कैसे दूर हो गया फिर सहज स्वभाव हमारा...  
शायद यूँ हुआ कि प्राकृतिक सभी मूल्यों को हमने जंगल समझ कर काट दिया... कंक्रीट में दब कर रह गयीं संवेदनाएं... ! बस शरीर से मनुष्य रहे हम... मन तो पाश्विकता की सीमा तक लांघ चुका... ऐसे में क्या हो दिशा... क्या पेड़ अपना सन्देश प्रेषित कर पायेंगे... क्या बादल धरती के लिए बरस जायेंगे... क्या ये उदास वातावरण सुनहरी धूप से आच्छादित होगा... ? !!
हताश निराश मन... अभी अभी खिली धूप में भी जैसे उदास कोई रागिनी सुन रहा है... आंसुओं से आद्र दामन लिए... जीवन धीरे धीरे संयत हो जैसे अपनी गति गुन रहा है... 
ओस के कण हरी घास पर बर्फ़ की चादर में परिवर्तित हो बड़ा ग़मगीन सा माहौल बनाये हुए हैं... धूप की प्रतीक्षा है... आएगी क्या वह उजली चादर को पिघला कर... हरी घास को फिर से हरा करने... ?




Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>