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Channel: अनुशील
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सागर किनारे... !!

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बहता पानी...
अपने साथ सारे दोष दंश बहा ले जाता है...


जब उमड़ घुमड़ रहीं हों
मन के प्राचीरों में दुविधाएं...
लहरों का आना जाना उद्वेलित कर रहा हो
घेरे हुए हो अनेकानेक बाधाएं...


तो किसी ताल तलैया नदी पोखर या सागर किनारे
कुछ पल विश्राम करना चाहिए...


समस्त विध्वंसक प्रवृतियों के बीच
कुछ क्षण सृजन का अभिराम होना चाहिए...


कैसे किरण जल पर नाचती हुई
नीले विस्तार की कथा कहतीं है...
कैसे तट से टकराते पानी के शोर में
कतरा कतरा ज़िन्दगी की व्यथा बहती है...


नित घटित हो रही संभावनाओं का
सुकंठ गान होना चाहिए...


समस्यायों के सागर में
विसंगतियों की भीड़ में
प्रश्नों के इस जंगल में... 


तुम सा समाधान होना चाहिए...


कुछ क्षण सृजन का अभिराम होना चाहिए... !!


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