$ 0 0 देखा था तुम्हेंएक रोज़एक झलक भर...देखेंगे तुम्हेंएक रोज़जी भर कर... मिलोगी न... ??कहो ज़िन्दगी... !!ज़िन्दगीइस प्रश्न परमुस्कुरायी...वह तोहरदम से हैकहती आयी-- साथ ही हूँसाथ ही होती हूँतुम भूल जाते हो...अपने साए को हीढूंढ़ते हो, शून्य मेंआवाज़ लगाते हो... शून्य से टकरा करजो लौट रहा है स्वरउसे सुनो... इन दृश्यमान बाधाओं से परेशुभ संकल्पों कापावन संसार गुनो... जीवन भीवहीँ मिलेगा,ज़िन्दगीसार्थक नाम लगेगी...जो उजड़ी उदासलगती है,वही धराफिर पावन धाम लगेगी... !!