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Channel: अनुशील
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वह तो हरदम से है कहती आयी... !!

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देखा था तुम्हें
एक रोज़
एक झलक भर...


देखेंगे तुम्हें
एक रोज़
जी भर कर... 


मिलोगी न... ??
कहो ज़िन्दगी... !!


ज़िन्दगी
इस प्रश्न पर
मुस्कुरायी...
वह तो
हरदम से है
कहती आयी-- 


साथ ही हूँ
साथ ही होती हूँ
तुम भूल जाते हो...


अपने साए को ही
ढूंढ़ते हो, शून्य में
आवाज़ लगाते हो... 


शून्य से टकरा कर
जो लौट रहा है स्वर
उसे सुनो... 


इन दृश्यमान बाधाओं से परे
शुभ संकल्पों का
पावन संसार गुनो... 


जीवन भी
वहीँ मिलेगा,
ज़िन्दगी
सार्थक नाम लगेगी...


जो उजड़ी उदास
लगती है,
वही धरा
फिर पावन धाम लगेगी... !!



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