$ 0 0 अगर रुकते तुम तोकुछ पल स्पंदित हो लेताये निर्जन उदास मोड़...रास्ते मुड़ जाते हैं यहाँ सेमन का कोई अनामगहरा नाता जोड़... मोड़ यहनिर्विकार खड़ा रहता हैइसे नहीं कहीं पहुँचने की होड़...राही बढ़ जाते हैंअपनी धुन में मस्तनेह मोह के सब धागे तोड़... मोड़ की तठस्थतामोड़ का मौनजो अपनाये ये अलंकरणहममें से वो होगा कौन... ?? हो सके तोइसी क्षणउस-सा होने काप्रयास रहे जी तोड़...ज़िन्दगी की रफ़्तार तेज़ हैविदा का सन्देश लिएजाने कब आ जायेअगला मोड़... !!