बीज से पौधा
पौधे में पत्तियां
फिर फूल
फिर फल
और फिर
सब सौंप कर हमें
लौट जाना
उसी बीज रूप में,
उसने
सहर्ष स्वीकारा है
अपना जीवन चक्र
ये हम ही हैं जो
बात बात में
करते हैं अपनी दृष्टि वक्र
शायद सोचा ही नहीं हमने-
इन सबके बीच
कितना कुछ
हम हर पल हैं खोते...
आश्चर्य है-
और कोई लाभ न पा जाए
इस डर से कई बार तो हम
पुष्पित पल्लवित ही नहीं होते!
निःस्वार्थ कोई बीज
आखिर हम क्यूँ नहीं बोते?
पौधे में पत्तियां
फिर फूल
फिर फल
और फिर
सब सौंप कर हमें
लौट जाना
उसी बीज रूप में,
उसने
सहर्ष स्वीकारा है
अपना जीवन चक्र
ये हम ही हैं जो
बात बात में
करते हैं अपनी दृष्टि वक्र
शायद सोचा ही नहीं हमने-
इन सबके बीच
कितना कुछ
हम हर पल हैं खोते...
आश्चर्य है-
और कोई लाभ न पा जाए
इस डर से कई बार तो हम
पुष्पित पल्लवित ही नहीं होते!
निःस्वार्थ कोई बीज
आखिर हम क्यूँ नहीं बोते?