Quantcast
Channel: अनुशील
Viewing all articles
Browse latest Browse all 670

तेरी ख़ातिर... !!

$
0
0


चाँद
घटते हुए...
नाव के आकार का हो चला था...


आज एक तारा भी दिखा... !


अमूमन
तारे नहीं दीखते हैं,
खिड़की से झांकते हुए मेरे मुट्ठी भर आकाश में.

खैर,


हर क्षण रंग बदलता था अम्बर


लाली...
छा जाने को तत्पर थी,


चाँद
और वह तारा...
धीरे धीरे
ओझल होने की तैयारी में थे...


वस्तुतः
उन्हें स्वयं
कुछ नहीं करना 


सूर्य की किरणें वित्तीर्ण होंगी
तो...

रात के तारे
रात का चाँद

सब स्वमेव छिप जायेंगे... !!

--------------------------------------------------

यही तो समझना है:

रात को बीतना ही होता है
वो बीतेगी...
बीतती ही है...


उदित होगा

और आस का सूरज


समस्त
टिमटिमाती निराशाओं को
ढांप लेगा... !!


इसलिए
ज़रूरी है...


इस पल की निरर्थकता से
हताश हुए बिना 


अगले क्षण की राह तकनी है

ज़िन्दगी! हमको तेरी ख़ातिर
हौसलों की कमान थामे रखनी है... !!

*** *** ***

चाँद तारों से पटा अम्बर है... और बेतुकी बातों पर रीझता मन है... आस विश्वास के बीच टिमटिमाती लौ है... वही जीवन है... !!




Viewing all articles
Browse latest Browse all 670