$ 0 0 चाँदघटते हुए...नाव के आकार का हो चला था...आज एक तारा भी दिखा... !अमूमन तारे नहीं दीखते हैं,खिड़की से झांकते हुए मेरे मुट्ठी भर आकाश में.खैर,हर क्षण रंग बदलता था अम्बरलाली...छा जाने को तत्पर थी,चाँद और वह तारा...धीरे धीरेओझल होने की तैयारी में थे...वस्तुतः उन्हें स्वयंकुछ नहीं करना सूर्य की किरणें वित्तीर्ण होंगीतो...रात के तारेरात का चाँदसब स्वमेव छिप जायेंगे... !!--------------------------------------------------यही तो समझना है:रात को बीतना ही होता हैवो बीतेगी... बीतती ही है...उदित होगाऔर आस का सूरजसमस्त टिमटिमाती निराशाओं को ढांप लेगा... !!इसलिएज़रूरी है...इस पल की निरर्थकता से हताश हुए बिना अगले क्षण की राह तकनी हैज़िन्दगी! हमको तेरी ख़ातिर हौसलों की कमान थामे रखनी है... !!*** *** ***चाँद तारों से पटा अम्बर है... और बेतुकी बातों पर रीझता मन है... आस विश्वास के बीच टिमटिमाती लौ है... वही जीवन है... !!