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Channel: अनुशील
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अथाह की कुछ तो थाह मिले...!

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वो सागर के समीप होने का दिन था... वो लहरों से खेलने का दिन था... वो उस तट पर खो जाने का दिन था... समय की परवाह न करते हुए लम्हों को जी लेने का दिन था... सब से दूर अपने करीब होने का दिन था... लहरों से खेलते हुए अपने अपनों के लिए अहर्निश चल रही प्रार्थनाओं से एकाकार हो जाने का दिन था... ये कुछ ऐसा था कि शब्दों में ढ़लते हुए अनुभूतियों को महीनों बीत गए... अब भी लिखना जो प्रारंभ किया है तो संशय में ही है कलम...

अनुभूतियों को लिख पाना इतना भी सरल नहीं... लिखना ही कहाँ सरल है... कितने ही अव्ययों को सहजता की ज़मीन पर रोपना होता है... तब घटित होता है लेखन!

मन में अजीब सी घबड़ाहट है, खूब रोने का मन है, अकेला मन चीखना चाहता है... शोर करती लहरें तब आकर बाहें थाम लेती हैं... अभी भी लहरों ने ही हाथ थामा  और ले गयीं मुझे सागर किनारे... वो दिन सजीव हो उठा... लहरों ने ही कहा... स्थिर करो मन को... लिखो हमें... कि तुम्हें अथाह की कुछ तो थाह मिले...!

समंदर पर रेत के घरौंदे बनाते हुए... चुने हुए पत्थरों से कोई प्यारा सा नाम उकेरते हुए... सूरज को उगते और डूबते हुए देखा...! सुबह से शाम तक की अविरत यात्रा थकाती होगी न सूरज को भी... तभी तो वो ओझल हो जाता है... सागर में विलीन होता हुआ प्रतीत होता है... अपने लिए विश्रामगृह तलाशता अस्ताचलगामी सूर्य कितना अकेला सा प्रतीत होता है न...

मन भी अजीब है, अन्तःस्थितियों का प्रतिविम्ब प्रकृति में  देख लेता है... ! सूरज कहाँ डूबता है, उसकी यात्रा तो अनवरत ज़ारी है... ये तो हम हैं कि अपनी अपनी दशा और दिशा के अंतर्गत अपना अपना सूर्य और अपनी अपनी सुबह पाते हैं... वो तो समस्त चराचर जगत पर एक सा बरसता है... अपनी अपनी क्षमता के तहत ही उसे अपने भीतर समाहित कर पाती है हमारे अपने हिस्से की माटी...

यूँ चाँद का आना भी हमने देखा और आसमान का रंग बदलता हुआ हमें बता गया कि यूँ तट पर बैठ जीवन नहीं बिताया जा सकता... ये बालू के घरोंदे टूटने के लिए ही बनते हैं...

चांदनी बोल उठी--

तोड़ो ये अपनी कारीगरी और जाओ... जीवन का महासागर है... वहां हौसले के साथ चल कर दिखाओ... पूरी क्षमता लगा दो... रचो... और सारी टूटन बिखरन समेट कर फिर बढ़ चलो... कि गति ही जीवन है... लहरें किनारों पर बार बार टकड़ा कर यही तो दोहरा रही है... ज़िन्दगी बही जा रही है... जिजीविषा के गीत गा रही है... !




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