$ 0 0 तेरा मेराकौन नाता...?कभी आंसुओं सेतो कभी ओस सेहै सींचा जाता...??कभीकह देते हैंदर्द समंदर...कभीइस नाते को कर लेते हैंज़िन्दगी का पक्षधर... कभी नदिया बहती हैकभी हम स्वयं भावों संग बह जाते हैं...अनगिन जन्मों में सेइसे किसी पूर्व जन्म केसंस्कार कह जाते हैं...एक हीगगन के नीचे हैंतो पास ही हुए न...रिश्तों नेरिश्ता जोड़ लियाहमने कोई क्षितिज छुए न... कैसे कैसे भावगढ़ जाती है नमी...सबकुछ तो हैफिर है किस बात की कमी... क्यूँ येछाई हुई उदासी है...?ज्यादानहीं सोचना,बात ये ज़रा सी है... !!