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समंदर की धड़कन सुनकर...!

जैसी लिखी गयी समंदर किनारे पहली बार उस रूप में ही सहेज रहे हैं यहाँ...! चिरंतनपर सागर से भावों को बाँधने के साझे प्रयास में एक कड़ी के रूप में जुड़ने हेतु लिखी गयी थी यह कविता... दुबारे पढ़ते हुए कुछ एक संशोधन के बाद वहाँप्रकाशित! आभार मीताजी, बेहद सुन्दर रचनाओं के बीच मेरे प्रयास को भी स्थान देने के लिए:)

समंदरकिनारेसेरेतकेकुछकणचुनकर
उलझेभावोंकेधागोंसेसपनेबुनकर
चलेहमजोकहतेहुएलहरोंकीकहानी,
जुड़गएकितनेहीपथिक आहटेंसुनकर...

आंसुओंकाएकसमंदरसबकेनयनोंमेंसमायाहै
आती-जातीलहरोंकासंगीतचहुँओरछायाहै
ऐसेमेंगूंजताहैएकमौनपूरीतन्मयतासे,
अभीअभीएकदीपनेअँधेरेकोहरायाहै...

जलतीहुईलौकानन्हासाप्रकाशवृत्तसबलहै
मझधारकाकिनारोंकेप्रतिमोहप्रबलहै
बिखरेहैंकितनेहीरेतीलेआकारसमंदरकिनारे,
धाराओंकेसान्निध्यमेंभावोंकासंसारधवलहै...

इसधवलसंसारसेसुनहरेकुछमोतीचुनकर
चलेहमसजानेपरिदृश्यएककविताबुनकर
देखियेतो, होपायीहैपरिलक्षितवहगहरीशांति?
लिखाहैहमनेयहसबसमंदरकीधड़कनसुनकर...

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