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Channel: अनुशील
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मन के नीड़ में...!

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बादलोंकेपीछेसेझांकतीरौशनी
जैसेहोशब्दोंकीओटसेझांकतीकविता
दर्ज़करतीहुईअपनीउपस्थिति
स्थापितकरतीहुईअपनावजूद
भरीभीड़में...

बादलछंटजातेहैं
औररौशनीजातीहैसन्मुख
शब्दविलीनहोजातेहैंऔररिक्तहुएबिन्दुओंसे
प्रकटहोजातीहैकविता
मनकेनीड़में...

एकपुष्पकीमुस्कानसहेजे
बिनाकुम्हलायेचलतीहैवोआँचलमेंअपनेधूपलिए
छाँवकीतलाशभीउसतकपहुँचकरहीपातीहैविराम
धूप-छाँवकाअनूठासंगमहैकविता
दिखजायेगीस्पष्ट, भलेहो
भरीभीड़में...

स्पंदितहोतीहुईमनकेनीड़में!

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