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Channel: अनुशील
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ताकि, जब जाएँ तो...!

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साँसें चुक जायेंगी
जिस दिन...
उस दिन चल देंगे जग से हम!
मात्र पड़ाव ही तो है जीवन
फिर मोह कैसा...
कैसा गम!

बस रहें जब तक
तब तक बना रहे मन-प्राण...
शुभ संकल्पों का आँगन!
कांटें चुनते हुए गुजरें राहों से
ताकि, जब जाएँ तो...
राह हो सुगम!

एक निर्धारित समय के लिए ही
मिलता है अवसर...
होती है धरती अपनी, अपना होता है गगन!
बस स्मरण रहे यह सत्य, तो
हर मोड़ पर मिलेगा...
मुस्कुराता हुआ जीवन!

सब खेल हैं विधाता के
जीवन, मरण, विस्मरण...
हे सृष्टि, तेरा अद्भुत क्रम!
लौटना है एक रोज़ धाम तेरे
पराये जग से नाता तोड़...
प्रभु, तुझसे कैसी अनबन!

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