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Channel: अनुशील
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इंतज़ार...!

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एक प्रिय मित्र ने हमसे कहा था कभी
इंतज़ार से अच्छी और बुरी चीज़
कोई नहीं...


तब से हम
जी रहे हैं हर वो अच्छी चीज़
जो निहित है इंतज़ार में,
और हर वो बुरी चीज़ भी
हमको तार तार किये हुए है
जो इंतज़ार की घड़ियों का सच है...


पीड़ा ही है इंतज़ार
आनंद भी है इंतज़ार 


तो,


पीड़ा भी है
सुकून भी है 


दोनों ही है इंतज़ार...???


इस आशय से

गणित के सिद्धांत की मानें तो

पीड़ा को ही
आनंद कह जाएँ...

कि
प्रतीक्षा
दोनों ही भावों को
जीने का नाम है...
सुबह कभी यह
तो कभी यह
घिर आई शाम है... 


अब कविता में

कहनी हो यह बात

तो पीड़ा एवं आनंद को
समकक्ष रखते हुए
यूँ कह लें-
पीड़ा में ही आनंद है...
दोनों में मूलतः कहाँ कोई द्वन्द है...


बहती रहे अश्रूधार,
जीवन रहते करते ही रहना है...

जीवन का इंतज़ार...!!!


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