$ 0 0 एक प्रिय मित्र ने हमसे कहा था कभीइंतज़ार से अच्छी और बुरी चीज़कोई नहीं...तब से हमजी रहे हैं हर वो अच्छी चीज़ जो निहित है इंतज़ार में,और हर वो बुरी चीज़ भीहमको तार तार किये हुए हैजो इंतज़ार की घड़ियों का सच है...पीड़ा ही है इंतज़ारआनंद भी है इंतज़ार तो,पीड़ा भी हैसुकून भी है दोनों ही है इंतज़ार...???इस आशय सेगणित के सिद्धांत की मानें तोपीड़ा को हीआनंद कह जाएँ...कि प्रतीक्षादोनों ही भावों को जीने का नाम है...सुबह कभी यह तो कभी यह घिर आई शाम है... अब कविता मेंकहनी हो यह बाततो पीड़ा एवं आनंद कोसमकक्ष रखते हुएयूँ कह लें-पीड़ा में ही आनंद है...दोनों में मूलतः कहाँ कोई द्वन्द है...बहती रहे अश्रूधार,जीवन रहते करते ही रहना है...जीवन का इंतज़ार...!!!