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Channel: अनुशील
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भावविभोर लेखनी

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जब भरा भरा हो मन
तो चुप हो जाना चाहता है 


पर
आंसू की तरह
कुछ है
जो बेचैन करता है


आँखों से टपकती हैं बूँदें
और कलम का गला रुंध जाता है 


तो
लिखें ही न... ?!!


इस लिखे हुए को
आंसू कह दें... 


या आंसू को
कविता... 


ये भेद मिट जाता है...


शब्दों की गरिमा का
आकलन
फिर अश्रू-जल से हो जाता है... !!






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