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Channel: अनुशील
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विस्तार पाता जाता है व्योम!

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मैं सबसे ज्यादा खुश थी जब
तब लिखी मैंने सबसे उदास कविता,
जब था मन बैठा दुःख के तीरे
तब खिंची कविता में मैंने
मुस्कान की लकीरें…  


दशा अभिव्यक्त हुई
या दशा का विलोम?
ये कलम का अधिकारक्षेत्र है,
विस्तृत उसका व्योम! 


इसमें
कहीं नहीं हूँ मैं
या कुछ भी मेरा
देखिये, शायद कहीं दिख जाए आपको
रात के अँधेरे से
उगता हुआ सवेरा 


यह कोई शब्दों का करिश्मा न होगा,
सवेरे का दिख जाना…
आपकी ही सिफ़त होगी!
इस श्रेय के लिए,
कलम आपके समक्ष…
मौन, विनीत व नत होगी!


लिखने वाले से ज्यादा,
शब्दों को उनके अर्थ
पढ़ने वाला देता है…
कम न आंकना उसकी क्षमता
वो जो
कविता का अध्येता है! 


अपने पढ़ने वालों तक पहुँच कर, 

फिर उनमें…
नए सिरे से उगती है!
कविता नए नए रूप धर
खग वृन्दों सम…
संभावनाओं के दाने चुगती है! 


और,


विस्तार पाता जाता है व्योम
कलम न रही है, न रहेगी मौन! 


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