$ 0 0 त्याग कैसे दे कोईजीवन रहतेजीवन को...आंसू बहते हैंऔर समझा लेते हैंमन को...आँखों के भर आने सेकितना कुछधुल जाता है...अनगिन बातों का बाँधअनायासखुल जाता है...अबबारिश के बाद कीइन्द्रधनुषी नीरवता है...सब ठीक हैकि नमी है जब तकतब तक कायम जीवन की सुन्दरता है... !!