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Channel: अनुशील
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बहते जाना है... !!

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धाराओं का खेल था...
दो किनारों का क्षितिज पर मेल था...


जीवन चलता ही रहा...
सूरज नित निकलता नित ढलता ही रहा...


कि जलते जाना है बाती को...
नदिया को बहते जाना है...


पड़ाव होंगे राह में...
पर वो भी ठहर जाने के पक्षधर नहीं...
कि उद्देश्य बस चलते जाना है...


नदिया हो या हो जीवन...
उसे अनंत तक बहते जाना है... !!


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