$ 0 0 तालों से पटा पुल...समय सहेजता हैआस्था के अनगिन फूल...साथ की परिभाषा जाने क्या होती है...जाने क्या होता है प्रेम...ताला लटका रह जाता है अंकित नामों का विम्ब बनकरऔर ताले की अभिन्नचाभीफेंक दी जाती हैअथाह जल मेंहमेशा के लिए ताले से जुदा हो जाने कोखो जाने को...***ताले और चाभी का दर्दचुभने लगा बन कर शूल तभी कह उठे दोनों -- "जाने दो...बातें ये निर्मूल...ये साथ है अनूठा...कि हम औरों के लिए कुर्बान हुए...प्रेम की प्रतिमा की हम चरण धूल...!!"*** *** ***तस्वीर ::Pedestrian bridge named "Passarelle des Arts" which crosses the River Seine