ये बुलबुले...
बस क्षण भर का अस्तित्व...
मुस्कानें...
बस पल भर में अंतर्ध्यान...
देती हुई स्थान...
विराट व्यथा को...
शायद यही सही भी हो...
कि...
अजब है यह संसार...
यहाँ औरों को खुश देख
मुरझा जाते हैं लोग... ... ...
दिखावे की दुनिया है...
झूठे हैं हम...
तभी तो बुलबुले फूट जाते हैं...
सतरंगी आभा फैलाते हैं...
और अगले ही क्षण हमसे रूठ जाते हैं... ... ... !!