$ 0 0 उदास करता है अंधेराअपने प्रारब्ध में हीलिखवाए आता है सूरज कीन्यूनतम उपस्थिति मेंसिहरता हुआअपने ज़ख्मों कीमगर स्वयं दवा होता है.तमाम अंधेरोंतमाम उदासियों कावाहक हो कर भी निर्मम विदाईयों कास्मारक हो कर भी वह प्रिय हैरहेगा हमेशा ही बस इसलिए कि उसके आँचल मेंश्वेत ही श्वेत संस्कार हैंरुई के फ़ाहों-सेस्वप्निल बर्फ़ के कण हवाओं पर सवार हैं! वह है प्रियरहेगा प्रिय सदा ही इसलिए भीकि इस मौसम में हीमेरी खिड़की पर डाल को फूल मिलते हैंलम्बे इंतज़ार के बादउजले आर्किड खिलते हैं!वह लेकर आता हैउजली बारिशउजली बारिश से आच्छादित परिवेशऔर मेरे नन्हे से गमले मेंउजला वसंत इसश्वेत-स्वर्णिम-सादी आभा के जादू सेदुखती पीर छू-मंतर हो जाए मनक्षण भर के लिए ही सहीजादुई दिसम्बर हो जाए !